लेखनी प्रतियोगिता -04-Aug-2023
हसरतों के फूल चुनकर एक माला गूंथ लाई
बनके दुल्हन देखो प्रियतम मैं तुम्हारे द्वार आई।
वर्षों पुरानी रीतियों से
मैंने ये आँचल सिया है
आंसुओं के मोतियों का
हार भी धारण किया है
छोड़ आई हूं वो जीवन
अब तलक जो भी जिया है
रही जिस घर में थी उसको
अलविदा भी कह दिया है
छोड़कर गुड़िया खिलौने सजाने घरद्वार आई
बनके दुल्हन देखो प्रियतम मैं तुम्हारे द्वार आई।
चांद से मस्तक पे मैं
सिंदूर की रेखा बनाकर
हथेली में मैं तुम्हारे
प्रेम की मेंहदी रचाकर
पांवों में मैं आलता
नियमों का रखूंगी लगाकर
लक्ष्मी बनकर रहूंगी
मैं तुम्हारे घर में आकर
छोड़ सब अल्हड़पना अब बसाने परिवार आयी
बनके दुल्हन देखो प्रियतम मैं तुम्हारे द्वार आई।
मिलेगा आराम मुझको
अब तुम्हें आराम देकर
नाम लूंगी मैं प्रभु का
अब तुम्हारा नाम लेकर
शक्ति का हूँ अंश मैं
अब तुम्हारे रंग रँगूंगी
भाग्य चमकाऊं तुम्हारे
साथ अपना भाग्य देकर
बनके फूलों की लता मैं बसाने संसार आयी
बनके दुल्हन देखो प्रियतम मैं तुम्हारे द्वार आई।
Reena yadav
06-Aug-2023 08:38 AM
👍👍
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